13 जुलाई 2025 को, महाराष्ट्र के पालघर जिले के विरार इलाके में एक प्रवासी ऑटो-रिक्शा ड्राइवर के साथ शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के कार्यकर्ताओं द्वारा मारपीट की घटना सामने आई। यह विवाद तब शुरू हुआ जब ड्राइवर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें उसने मराठी बोलने से इनकार करते हुए कहा, “मैं हिंदी बोलूंगा, भोजपुरी बोलूंगा, मुझे मराठी नहीं आती।” इस वीडियो में ड्राइवर एक स्थानीय व्यक्ति, भवेश पडोलिया (उत्तर प्रदेश के प्रवासी), के साथ बहस करता दिख रहा था, जिसने उससे मराठी में बात करने के लिए कहा था।
शनिवार (12 जुलाई 2025) को, विरार रेलवे स्टेशन के पास शिवसेना (UBT) और MNS के कार्यकर्ताओं, जिनमें कुछ महिलाएं भी शामिल थीं, ने ड्राइवर को ढूंढकर उसके साथ सार्वजनिक रूप से मारपीट की। वीडियो में दिखाया गया है कि ड्राइवर को थप्पड़ मारे गए और उसे भवेश पडोलिया, उनकी बहन, और महाराष्ट्र की जनता से मराठी भाषा और संस्कृति का कथित अपमान करने के लिए माफी मांगने के लिए मजबूर किया गया।
शिवसेना (UBT) के विरार शहर प्रमुख उदय जाधव, जो घटना स्थल पर मौजूद थे, ने इस कार्रवाई का बचाव किया। उन्होंने कहा, “जो कोई भी मराठी भाषा, महाराष्ट्र या मराठी मानुष का अपमान करेगा, उसे शिवसेना स्टाइल में जवाब दिया जाएगा। ड्राइवर को सबक सिखाया गया और उसे माफी मांगने के लिए मजबूर किया गया।” उन्होंने इसे मराठी ‘अस्मिता’ (गौरव) की रक्षा के रूप में उचित ठहराया। MNS ने भी इस घटना में अपनी भूमिका को मराठी गौरव से जोड़ा।
पालघर जिला पुलिस ने इस घटना की पुष्टि की, लेकिन बताया कि अभी तक कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं हुई है, इसलिए कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “हमने वायरल वीडियो देखा है और तथ्यों की जांच कर रहे हैं, लेकिन अभी तक न तो ड्राइवर और न ही किसी अन्य पक्ष ने शिकायत दर्ज की है।”
यह घटना महाराष्ट्र में मराठी और हिंदी/भोजपुरी भाषा को लेकर चल रहे विवाद का हिस्सा है। हाल ही में, महाराष्ट्र सरकार ने प्राथमिक स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने का फैसला किया था, जिसे बाद में प्रो-मराठी समूहों के विरोध के बाद वापस ले लिया गया। इस नीति को मराठी पहचान को कमजोर करने के प्रयास के रूप में देखा गया।ससे पहले, 1 जुलाई 2025 को, ठाणे जिले के भायंदर में MNS कार्यकर्ताओं ने एक स्ट्रीट फूड वेंडर को मराठी न बोलने के लिए थप्पड़ मारा था। इस घटना के विरोध में व्यापारियों ने प्रदर्शन किया, जिसके जवाब में MNS ने 8 जुलाई को मराठी ‘अस्मिता’ के समर्थन में एक रैली निकाली, जिसमें शिवसेना (UBT) और NCP (शरद पवार गुट) के कार्यकर्ता भी शामिल हुए। इस रैली के दौरान पुलिस ने कई MNS कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया, क्योंकि यह बिना अनुमति के आयोजित की गई थी।
इस घटना ने महाराष्ट्र में भाषाई राजनीति को और गर्म कर दिया है। कुछ लोग शिवसेना और MNS के कार्यकर्ताओं के कदम को मराठी गौरव की रक्षा के रूप में देखते हैं, जबकि अन्य इसे भाषाई कट्टरता और कानून को हाथ में लेने की खतरनाक मिसाल मानते हैं। यह विवाद आगामी नगर निकाय चुनावों को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि MNS और शिवसेना (UBT) मराठी अस्मिता को अपने राजनीतिक एजेंडे के केंद्र में रख रहे हैं।










