पटना : जमुई गांव की बच्ची जो हादसे के बाद अपना एक पैर गवां दी थी । फिर भी उसने पढ़ने का हौसला नही छोड़ा। एक पैर से करीब 1 KM कूदकर स्कूल जाने वाली जमुई की सीमा की कहानी सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद प्रशासन ने मदद के हाथ उस बच्ची की तरफ बढ़ाए हैं। शुक्रवार को जिला प्रशासन की ओर से बच्ची को आर्टिफिशियल (कृत्रिम) पैर लगाए गए और एक तिपहिया साइकिल भी गिफ्ट की गई।
आपको बता दें कि सीमा की मदद के लिए जिला प्रशासन और जिला शिक्षा विभाग दोनों मिलकर आगे आए। DEO कपिल देव तिवारी की मौजूदगी में डॉक्टरों की एक टीम ने सीमा के कृत्रिम पैर लगाए। अब सीमा दोनों पैरों के जरिए स्कूल जा सकेगी।
सीमा से मिलने के लिए जमुई से सांसद चिराग पासवान भी पहुंचे और सीमा के हौसले को सभी के लिए प्रेरणा श्रोत बताया।
आपको बता दें कि जमुई जिला प्रशासन ने बुधवार को ही कृत्रिम पैर लगाने के लिए सीमा के पैर का नाप ले लिया था। जिलाधिकारी अवनीश कुमार सिंह खुद सीमा के घर जाकर सीमा को कृत्रिम पैर लगवाए। कृत्रिम पैर लगने के बाद सीमा की खुशी देखने लायक थी। सभी ने सीमा को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। इस दौरान उसकी पढ़ाई की लगन को सभी ने सराहा। इस मौके पर जमुई के जिला अधिकारी अवनीश कुमार ने कहा कि सीमा का पढ़ने के प्रति हौसला काबिल-ए-तारीफ है।
भावुक कर देगी आपको सीमा की कहानी-
सीमा माझी की उम्र महज 10 साल है. वह नक्सल प्रभावित जमुई जिले के खैरा प्रखंड स्थित फतेपुर गांव की रहने वाली है. चार साल पहले ईंट भट्ठे पर जाने के दौरान ट्रैक्टर चढ़ जाने से बायां पैर फ्रैक्चर हो गया था. जिसे डॉक्टरों की सलाह पर काटना पड़ गया. इस दर्दनाक हादसे ने मासूम का एक पैर तो छीना, लेकिन उसके हौसले की उड़ान बरकरार रही. दूसरे बच्चों को स्कूल जाते देख सीमा को भी पढ़ने की इच्छा हुई. क्योंकि सीमा पढ़ लिखकर टीचर बनना चाहती है और शिक्षा के जरिए अपने जैसे दूसरे बच्चों की जिंदगी की बाधाओं को दूर कर देना चाहती हैl
दरअसल, एक पैर से स्कूल जाने वाली छात्रा सीमा के पिता खीरन मांझी दूसरे प्रदेश में रहकर मजदूरी करते हैं. जबकि वह गांव में अपनी मां बेबी देवी और चार भाई-बहनों के साथ रहती है. मां भी गांव के आसपास मजूदरी कर अपना घर चलाती है और बच्चों को पालती है।