मध्यप्रदेश मे 1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक पूर्णतया प्रतिबन्ध होगा।सिंगल यूज प्लास्टिक से होने वाले पर्यावरण के नुकसान को देखते हुए केंद्र सरकार ने एक वर्ष पहले यह तारीख तय की दिखा निर्देश जारी किये थे।
प्लास्टिक का उत्पादन करने वाले उद्योग को 30 जन तक ही अनुमति दी गई है । ये उद्योग रोजाना 16 से 20 मीट्रिक टन उत्पादन करते हैं। विशेषज्ञों ने इस पर सवाल उठाए हैं कि जब प्रतिबंध से एक दिन पहले तक उत्पादन होगा तो बाद में इसके चोरी-छुपे उपयोग की आशंका तो बनी रहेगी।
यह होंगे बैन-
सिंगल यूज प्लास्टिक में शामिल प्लेट,कप, गिलास, कटलरी जैसे कांटे, चम्मच, चाकू, ट्रे, मिठाई के बक्से, निमंत्रण कार्ड और सिगरेट के पैकेट पर लपेटे जाने वाली प्लास्टिक तथा 100 माइक्रोन से कम के पीवीसी बैनर, प्लास्टिक स्टिक, गुब्बारे के लिए प्लास्टिक स्टिक, झंडे और कैंडी की स्टिक, आइसक्रीम की स्टिक, सजावट के लिए पालीस्टाइनिन थर्मोकोल के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाएगा।
आप इनके जगह यह विकल्प अपना सकते हैं-
स्टील के बर्तन, कागज, गन्नो की खोई, माहुर के पत्ते से भी दोने-पत्तल बनाए जाते हैं, इनका उत्पादन बढ़ाना होगा। स्थानीय लोगों को आर्थिक मदद होगी। उनके द्वारा तैयार सामग्री को खरीदने का भरोसा देना होगा।
प्लास्टिक बनाने वाले उद्योग के बंद होने से कर्मचारी हो सकते बेरोजगार-
अभी 28 उद्योग सिंगल यूज प्लास्टिक का निर्माण करते हैं इन्हें पीसीबी ने एक वर्ष पूर्व नोटिस देकर सिंगल यूज प्लास्टिक ने निर्माण को बंद करने का आदेश दिया था कि संचालक बताएं आगे क्या काम करेंगे, कर्मचारियों को कैसे रोजगार देंगे, इसमें सरकार की तरफ से क्या मदद चाहिए, यह बताएं। इनमें से किसी ने पीसीबी को कुछ नहीं बताया। वहीं ये सामग्री बेचने व स्टाक करके रखने वाले चिह्नित नहीं हैं। इसके लिए निकायों को सर्वे भी नहीं किया।
बता देन कि सिंगल यूज प्लास्टिक से पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान होता है । यह आसानी से नष्ट नहीं होती तथा ज़मीन मे फैल कर ज़मीन को भी प्रदुषित करती है। हमें आम जिन्दगी मे सिंगल यूज प्लास्टिक को हटा कर इसके विकल्प को अपनाना चाहिए ताकि पृथ्वी को प्रदुषण से कुछ राहत दी जा सके ।